देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ शिवाष्टकस्तोत्र को सुबह- शाम किसी भी दिन पढ़ https://shivchalisas.com